किसान क्यों कर रहे हैं कृषि क़ानूनों का विरोध
दिल्ली बॉर्डर पर हज़ारों किसान पिछले एक महीने से धरने पर बैठे है। उनकी माँग है कि केंद्र सरकार तीन नए कृषि क़ानूनों को रद्द करे। उन्हें लगता है कि यह क़ानून उनकी ज़मीन और फ़सलों को निजी कम्पनियों के हाथों में दे देंगे। यह नए क़ानून सरकारी मंडियों से बाहर ख़रीद फ़रोक्त और कॉंट्रैक्ट खेती को अनुमति देते हैं। साथ ही साथ खाद्य सामग्री के निजी भंडारण पर लगी रोक को हटाते हैं। सरकार का कहना है कि नए क़ानून किसान को अपनी फ़सल का उचित मूल्य दिलाने में कारगर होंगे। परदर्शनकारियों का कहना है कि सरकारी मंडी से बाहर वे निजी कम्पनियों से मोल भाव नहीं कर पाएँगे। अभी तक APMC या मंडी कमेटी ही व्यापारियों और किसानों के बीच किसी भी तरह के कारोबार का निरीक्षण करती है व विवाद का हल भी । नए क़ानून सभी गतिविधियों को APMC के दायरे से बाहर करते हैं पर किसी नयी प्रणाली की बात नहीं करते जो इनका नियंत्रण करेगा।