कोरोना की तीसरी लहर के बारे में कईं अटकलें लगाई जा रही हैं। आइए जाने विशेषज्ञ डॉ. भवनीत भारती की राय
कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के अधिक संक्रमित होने की आशंका जताई जा रही है। इस आशंका को देखते हुए कुछ राज्यों ने तो अभी से तैयारी भी शुरू कर दी है।
महाराष्ट्र सरकार ने एक पीडियाट्रिक टास्क फ़ोर्स का गठन किया है और नवजातों के लिए स्पेशल यूनिट्स बनाई जा रही है। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा बच्चों के लिए उपयुक्त वेंटिलेटर और उपचार का प्रोटोकॉल भी तैयार किया जा रहा है। दिल्ली सरकार ने भी इस बात को ध्यान में रखते हुए एक टीम गठित की है, जो सभी अस्पतालों में बच्चों को ध्यान में रखते हुए जरूरी इंतजामों का जायज़ा ले रही है।
क्या इस तीसरी लहर को रोका जा सकता है? क्या वास्तव में यह बच्चों को अधिक संक्रमित करेगी? बच्चों को कैसे संक्रमण से बचाया जा सकता है? इस तरह के सवाल हम सबके मन में हैं। इन सब सवालों के जवाब जानने के लिए हमने बात की पीडियाट्रिशियन डॉ. भवनीत भारती से जो कि डॉ. बी आर अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (AIMS), मोहाली, पंजाब की डायरेक्टर प्रिंसीपल हैं।
Q: सुनने में आ रहा कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती है। इसका क्या कारण है? क्या यह कोई नया वैरीएंट होगा जो बच्चों को अपनी गिरफ्त में लेगा?
मैं कहना चाहूंगी कि यह सिर्फ संभावना है, यह कोई निश्चित नहीं है। इसीलिए पेरेंट्स को अभी से इतना डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन हां, हमें अलर्ट रहना पड़ेगा और अपनी तैयारी रखनी पड़ेगी। जैसा कि हम देख पा रहे है कि कोरोना वायरस आसानी से संक्रमित होने वाले वर्ग को अपनी चपेट में ले रहा है।
पहली लहर में इसने सीनियर सिटीजन्स या किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को सबसे ज्यादा संक्रमित किया। जब दूसरी लहर आई तब तक काफ़ी सीनियर सिटीजन्स को वैक्सीन लग चुकी थी, इसीलिए उसने जवान लोगों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू किया। अब जबकि देश में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी वैक्सीन लगाई जा रही है, ऐसे में इस बात की संभावना है कि अब इसका रुख बच्चों की ओर हो।
पेरेंट्स को अभी से इतना डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन हां, हमें अलर्ट रहना पड़ेगा और अपनी तैयारी रखनी पड़ेगी
जहां तक बात वैरियंट की करें तो हम देख रहे हैं कि यह वायरस जल्दी-जल्दी अपना रूप बदल रहा है। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह कोई नया म्यूटेंट हो।
जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा है कि यह तीसरी लहर इस साल के अंत या फिर अगले साल के शुरू में आ सकती है। ऐसे में हम उम्मीद कर रहे हैं कि ज्यादातर लोगों को वैक्सीन लग चुकी होगी, इसलिए यह भी हो सकता है कि यह लहर आए भी न। इसके साथ ही अगर हम कोविड गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन करते रहे तब भी इस लहर को रोका जा सकता है।
Q: पेरेंट्स के मन में एक सवाल है कि वे ऐसा क्या करें जिससे बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सके?
बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए गाइडलाइंस वही हैं जो कि बड़ों के लिए हैं। सामाजिक दूरी, हाथों को अच्छी तरह से साफ करते रहें और पांच साल के अधिक उम्र के बच्चे बाहर जाते समय मास्क अवश्य लगाएं। इसके साथ ही पेरेंट्स भी अपने हाइजीन का ख्याल रखें, क्योंकि बच्चों को संक्रमण होने की संभावना बड़ों से ही सबसे ज्यादा हो सकती है।
इसके साथ ही पौष्टिक और संतुलित खाने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को दुरुस्त रखा जा सकता है। चूंकि आजकल बच्चे पार्क में खेलने नहीं जा पा रहे हैं, ऐसे में वे घर में ही रह कर कुछ एक्सरसाइज या योग का अभ्यास करके वे खुद को शारीरिक रूप से फिट रख सकते हैं।
Q: इस तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए और बच्चों को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों को किस तरह की तैयारियां करने की जरूरत है?
जी हां, जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि यह सिर्फ संभावना है, लेकिन फिर भी हमें सचेत और इसके लिए तैयार रहना होगा। सभी अस्पतालों को बच्चों को ध्यान में रखते हुए अलग से कोविड वार्ड, आईसीयू वार्ड, ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था करके रखनी चाहिए। इसके साथ ही अस्पतालों को अपने पैरामेडिकल स्टाफ को भी बच्चों को ध्यान में रखते हुए ट्रेनिंग देनी चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर वे उनकी सही तरीके से केयर कर सकें।
इसके साथ ही बतौर पीडियाट्रिशियन हमें लगातार इस बात पर नजर रखनी पड़ेगी कि अस्पताल में पहुंच रहे बच्चों में कोई असामान्य लक्षण तो विकसित नहीं हो रहे हैं। अगर इस तरह का कोई लक्षण दिखे तो तुरंत उसे पहचान कर और उसका जल्दी से जल्दी इलाज शुरू करके हम बीमारी को बढ़ने से पहले ही रोक सकते हैं।
Q: दूसरी लहर में भी कुछ मामले बच्चों में संक्रमण के भी आ रहे हैं, उनमें किस तरह के लक्षण दिख रहे हैं और वे किस एज ग्रुप के हैं।
जी हां, यह सही है कि दूसरी लहर में पहली के मुकाबले बच्चों में संक्रमण के अधिक मामले आए हैं। लेकिन यहां अच्छी बात यह है कि केवल कुछ गंभीर मामले जिनमें उन्हें वेंटीलेटर की जरूरत पड़े को छोड़ कर ज्यादातर मामलों में बच्चे दवाओं से ही ठीक हो रहे हैं।
जहां तक लक्षणों की बात है तो ज्यादातर या तो एसिम्टोमेटिक (जिनमें कोई लक्षण न हो) हैं या फिर हल्के फ्लू की तरह सर्दी, जुकाम या हल्का बुखार जैसे लक्षण दिख रहे हैं।
हां, इस दूसरी लहर में कोविड मरीज बच्चों में डायरिया और पेट दर्द जैसी शिकायत जैसे लक्षण भी देखने को मिल रहे हैं। इसीलिए इस तरह के लक्षण अगर बच्चों में दिखें तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें।
Q: जैसा कि आपने कहा कि कुछ मामलों में बच्चों को वेंटीलेटर पर भी रखना पड़ रहा है। इसका क्या कारण हो सकता है?
सांस लेने में गंभीर परेशानी होने पर वेंटीलेटर पर रखना पड़े जैसे मामले ज्यादातर उन बच्चों में ही देखने को मिल रहे हैं जो कि पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।
लेकिन हां, इसके अलावा कुछ बच्चों में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C), जिसे पीडियाट्रिक इंफ्लेमेटरी मल्टी सिस्टम सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है, देखने को मिल रही है। इसमें उनके शरीर में लाल चकत्ते पड़ना, हाथ-पैरों और जीभ में सूजन जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं।
अभी तो इस बीमारी को कोरोना वायरस से जोड़ कर देखा जा रहा है क्योंकि यह बीमारी उन बच्चों में देखने को मिल रही है जिन्हें कोरोना हुआ हो या फिर उनके पेरेंट्स कोरोना से संक्रमित हुए हो। बाकि इसका सही कारण पता लगाने की कोशिश की जा रही है। जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि बतौर पीडियाट्रिशियन हमें हर असामान्य लक्षण पर नजर रखनी होगी, ताकि बीमारी को शुरू में ही पकड़ कर उसका समय पर उसका इलाज हो सके।
यह सही है कि दूसरी लहर में पहली के मुकाबले बच्चों में संक्रमण के अधिक मामले आए हैं। लेकिन यहां अच्छी बात यह है कि केवल कुछ गंभीर मामले जिनमें उन्हें वेंटीलेटर की जरूरत पड़े को छोड़ कर ज्यादातर मामलों में बच्चे दवाओं से ही ठीक हो रहे हैं
Q: कोरोना होने पर क्या बच्चों को भी बड़ों की ही तरह 14 दिनों के लिए होम आइसोलेशन में रखा जाता है या फिर उनके लिए कुछ और गाइडलाइंस हैं। किस एज के बाद के बच्चों को होम आइसोलेशन में रखा जाता है।
होम आइसोलेशन को लेकर बच्चों और बड़ों के लिए एक समान ही गाइडलाइंस हैं। अगर किसी बच्चे को सामान्य फ्लू के लक्षण हैं तो उन्हें भी बड़ों की तरह ही 14 दिन के लिए होम आइसोलेशन में रखना होगा।
अगर बच्चा पांच साल से कम उम्र का है तो उसे मां के साथ या फिर घर के किसी बड़े व्यक्ति के साथ और अगर पांच साल से अधिक उम्र का है तो अकेले ही 14 दिनों के लिए होम आइसोलेशन में रखा जाता है।
लेकिन याद रखें, जो भी व्यक्ति पांच साल से कम उम्र के बच्चे के साथ आइसोलेशन में हैं वे कोविड गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन करें यानि उन्हें मास्किंग और हाइजीन का ख्याल रखना होगा। और पांच साल से अधिक उम्र का जो बच्चा अकेले ही आइसोलेट हुआ है, उसके लिए हमें इस बात का ख्याल रखना होगा कि इस दौरान बच्चा खुद को अकेला महसूस न करें।
यहां पर भी वही सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए बच्चे से बात करते रहें। उसे किताबें या फिर किसी गेम में व्यस्त रहने को कहें। बच्चे के खाने-पीने का ख्याल रखें। उसे पौष्टिक डायट दें और घर का माहौल सामान्य रखें। हल्के फ्लू के लक्षणों वाले ज्यादातर बच्चे बड़ों की ही तरह घर में रहकर ही ठीक हो जाते हैं।
Q: अगर किसी महिला को कोरोना हो जाता है और उसका बच्चा ब्रेस्ट फीडिंग पर है तो क्या ऐसे में मां को फीडिंग बंद करा देना चाहिए?
अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों के अनुसार कोरोना पॉजीटिव मां सभी जरूरी गाइडलाइंस का पालन करते हुए बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग करा सकती है। क्योंकि ब्रेस्ट मिल्क से नवजात शिशु को एंटीबॉडीज मिल सकेंगीं, जो उन्हें कोरोना के संक्रमण से बचाएंगीं।
इसी तरह मान लीजिए कि बच्चे को कोरोना है तब भी मां को उसी तरह कोविड गाइडलाइंस का पालन करते हुए बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग करवाते रहना चाहिए।
Q: घर में रहने से बच्चों में मानसिक और शारीरिक परेशानियां जैसे चिड़चिड़ापन और मोटापा बढ़ना जैसी परेशानियां आ रही हैं। ऐसे में कैसे उन्हें मेंटली और फिजीकली एक्टिव रखा जा सकता है?
वास्तव में यह बच्चों और पेरेंट्स दोनों के लिए ही कठिन समय है। लेकिन इस चुनौती को हमें सकारात्मक रहते हुए स्वीकारना चाहिए।
बच्चे इस समय का सदुपयोग अपनी रचनात्मकता बढ़ा कर सकते हैं। घर में ही रह कर पढ़ाई के साथ-साथ पेंटिंग, डांस, म्यूजिक और स्टोरी बुक्स पढ़ने जैसी आदतें उन्हें व्यस्त रखने के साथ ही उनके समग्र विकास में मददगार भी होंगी।
भारत सरकार ने 2-18 साल तक के बच्चों के लिए को-वैक्सीन के ट्राइल को मंजूरी दे दी है। उम्मीद है कि कुछ ही महीनों में इसकी प्रभावशीलता और सुरक्षा को लेकर आंकड़ा हमारे पास उपलब्ध होगा
बच्चों को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए पेरेंट्स उन्हें योगा या कुछ ऐसी एक्सरसाइज सिखा सकते हैं जिन्हें वे एंजॉय भी करें।
छुट्टी वाले दिन पेरेंट्स बच्चों के साथ इंडोर गेम्स खेलें, उनके साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करें, बच्चों की उनके दोस्तों के साथ फोन पर बात कराते रहें, ताकि बच्चा खुद को उर्जावान महसूस करे। और सबसे महत्वपूर्ण बात पॉजीटिव रहें और घर का माहौल पॉजीटिव रखें।
Q: जैसा कि हम जानते हैं कि अब बच्चों के लिए वैक्सीन पर ट्राइल शुरू हो गया है? यह वैक्सीन कितने साल तक के बच्चों के लिए होगी। कब तक इसके आने की उम्मीद है?
देखिए, भारत सरकार ने 2-18 साल तक के बच्चों के लिए को-वैक्सीन के ट्राइल को मंजूरी दे दी है। उम्मीद है कि कुछ ही महीनों में इसकी प्रभावशीलता और सुरक्षा को लेकर आंकड़ा हमारे पास उपलब्ध होगा।
Q: किस एज ग्रुप के बाद के बच्चों को मास्क पहनना अनिवार्य है। उस निर्धारित उम्र से कम के बच्चों को कैसे संक्रमण से बचाया जा सकता है?
अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइंस के अनुसार 5 साल से अधिक की उम्र के बच्चों को घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनना अनिवार्य है। लेकिन बदलती परिस्थितियों के अनुसार इन गाइडलाइंस को बदला भी जा सकता है।
जहां तक रही पांच साल से कम उम्र के बच्चों की बात तो चूंकि, इस उम्र के बच्चों के लिए मास्क पहनना संभव नही हो पाता, इसीलिए पेरेंट्स उनका अच्छी तरह से ध्यान रखें। जब भी बच्चों को बाहर लेकर जाएं खुद मास्क लगा कर रखें, बच्चों को भीड़ वाली जगहों पर लेकर न जाएं और घर आकर उन्हें अच्छी तरह से हाथ धोने की ट्रेनिंग दें ताकि उन्हें संक्रमण से बचाया जा सके।
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